Tuesday, January 27, 2009

फरवरी सन् 2009 ,मासिक ग्रह-वाणी

1, 8, 9, 16, 17, 18, 26, 27, 28 फरवरी को अग्नितत्वीय मेष, सिंह, धनु राशियों के लिये ह्न 1, 2, 3, 10, 11, 19, 20, 21 फरवरी को पृथ्वीतत्वीय वृष, कन्या, मकर राशियों के लिये ह्न 4, 5, 12, 13, 21, 22, 23 फरवरी को वायुतत्वीय मिथुन, तुला, कुम्भ राशियों के लिये ह्न 6, 7, 14, 15, 16, 24, 25, 26 फरवरी को जलतत्वीय कर्क, वृश्चिक, मीन राशियों के लिये ग्रह-स्थिति प्रतिकूल है। इन दिनों कोई महत्वपूर्ण कार्य न करें। संयम रखें और सतर्क रहें।

फरवरी सन् 2009

1 फरवरी: शीतलाषष्ठी (बंगाल), दरिद्रताहरण व्रत, मंदारषष्ठी व्रत, रविषष्ठी, बसंत की कढाही (सारस्वत-खत्री), वैधृति महापात देर रात 3.28 से

2 फरवरी: अचला सप्तमी, सूर्यरथ सप्तमी, आरोग्य सप्तमी, चंद्रभागा सप्तमी (उडीसा), नर्मदा जयंती, अद्वैत सप्तमी व्रत, पुत्रसप्तमी व्रत, मार्तण्डतीर्थ यात्रा (कश्मीर), मर्यादा महोत्सव (जैन), वैधृति महापात प्रात: 8.20 तक

3 फरवरी: श्रीदुर्गाष्टमी, श्रीअन्नपूर्णाष्टमी व्रत, भीष्माष्टमी-भीष्म का तर्पण

4 फरवरी: श्रीमहानंदा नवमी व्रत, श्रीहरसूब्रह्मदेव जयंती (चैनपुर-रोहतास, बिहार), द्रोण नवमी, शिशिर नवरात्र पूर्ण, पुष्पांजलि व्रत पूर्ण (दिग. जैन)

5 फरवरी: श्रीराधादामोदरदेव का प्राकट्योत्सव (वृंदावन), माघी विजयादशमी (मिथिलांचल), शल्य दशमी, रोहिणी व्रत (दिग. जैन)

6 फरवरी: जया एकादशी व्रत, भैमी एकादशी, श्यामबाबा द्वादशी-ज्योति

7 फरवरी: शनि-प्रदोष व्रत (पुत्र-प्राप्ति के लिए), विश्वकर्मा जयन्ती (मालवा), गुरु गोरखनाथ जयंती, श्रीनित्यानंद त्रयोदशी, रत्नत्रय-संकटहरण व्रत-3 दिन (दिग. जैन), बाबे लालूजी की चौथी चोटी (सारस्वत-खत्री)

8 फरवरी: यक्षिणी चतुर्दशी (जम्मू-कश्मीर), पाक्षिक प्रतिक्रमण (श्वेत. जैन), स्वामी करपात्री की पुण्यतिथि, दशलक्षण व्रत पूर्ण (दिग. जैन), Septuagesima Sunday (Christian)

9 फरवरी: स्नान-दान-व्रत की माघी पूर्णिमा, राजराजेश्वरी ललिता जयंती, श्रीगोपीनाथ-प्राकट्योत्सव (वृंदावन), दण्डारोपिणी पूर्णिमा, संत रविदास जयंती उत्सव 596वाँ, माघ-स्नान पूर्ण, श्रीसत्यनारायण पूजा-कथा

10 फरवरी: हुरि अकदोह (जम्मू-कश्मीर), षोडशकारण मुष्ठिविधान व्रत पूर्ण (दिग. जैन)

12 फरवरी: संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत, सर्वोदय मेला-पखवारा समाप्त, सूर्य की कुम्भ संक्रान्ति सायं 7.24 बजे, सामान्य पुण्यकाल सूर्योदय से दोपहर 1 बजे तक, संक्रान्ति का विशेष पुण्यकाल दोपहर 1 बजे से सूर्यास्त तक

13 फरवरी: व्यतिपात महापात देर रात 2.28 से

14 फरवरी: व्यतिपात महापात प्रात: 6.55 तक

15 फरवरी: यशोदा माता जयंती, श्रीमहाकालेश्वर-नवरात्र प्रारंभ (उज्जैन)

16 फरवरी: श्रीनाथजी का पाटोत्सव (श्रीनाथद्वारा-राजस्थान), कालाष्टमी, वैक्कटाष्मी (केरल), चेहल्लुम (मुस.)

17 फरवरी: सीताष्टमी व्रत, होराष्टमी (जम्मू-कश्मीर), अष्टका श्राद्ध

18 फरवरी: समर्थ गुरु रामदास जयंती, अन्वष्टका नवमी, सूर्य सायन मीन राशि में सायं 6.16 बजे, सौर वसन्त ऋतु प्रारंभ

19 फरवरी: छत्रपति शिवाजी जयंती (तारीखानुसार), दयानंद सरस्वती जयंती

20 फरवरी: विजया एकादशी व्रत, मानसरोवर मेला (ब्रज)

22 फरवरी: प्रदोष व्रत, हेरथ-शिवरात्रि (जम्मू-कश्मीर), Quinquagesima (Shrove) Sunday (Christian)

23 फरवरी: महाशिवरात्रि व्रतोत्सव, शिव-विवाह चतुर्दशी व्रत, श्रीवैद्यनाथ जयंती, कृत्तिवासेश्वर-दर्शन (काशी), श्रीमहाकालेश्वर नवरात्र पूर्ण (उज्जैन), पाक्षिक प्रतिक्रमण (श्वेत. जैन), आर्य समाज सप्ताह प्रारम्भ

24 फरवरी: स्नान-दान-श्राद्ध की फाल्गुनी अमावस्या, भौमवती अमावस, डून्यमावसी (कश्मीर), शिव-खप्पर पूजा, शहादत-ए-इमाम हसन (मुस.)

25 फरवरी: स्नान-दान की अमावस, आखिरी चहार शम्बाह (मुस.), अवतार मेहेरबाबा जन्मोत्सव, Ash Wednesday (Christian)

26 फरवरी: नवीन चन्द्र-दर्शन, वीर सावरकर स्मृति दिवस

27 फरवरी: श्रीरामकृष्ण परमहंस जयंती, फुलेरा दूज, चन्द्रशेखर आजाद शहीद दिवस, वैधृति महापात सायं 6.57 से रात्रि 11.10 तक

28 फरवरी: वरदविनायक चतुर्थी व्रत, संत चतुर्थी (उडीसा)

Monday, January 5, 2009

वार्षिक राशिफल

वार्षिक राशिफल मेष

मेष

देवगुरु बृहस्पति की कृपा से पिछले साल की तुलना में यह वर्ष अच्छा बीतेगा। इष्टदेव की अर्चना, तीर्थयात्रा, दान-पुण्य से भाग्योदय होगा। आत्मविश्वास बढेगा। किसी नई योजना का निर्माण करेंगे। संतान-सुख मिलेगा। अधूरा काम पूरा होगा। शनि शुभ-अशुभ मिश्रित फलदायक रहेगा। मई से राहु-केतु कार्य क्षेत्र में विघ्न-बाधा तथा मानसिक तनाव देंगे। स्वामी कार्तिकेय की आराधना करें एवं मध्यमा अंगुली में चांदी की अंगूठी में लाजवर्त धारण करें।

वृष

इस वर्ष शनि की ढैय्या समस्यायें उत्पन्न करके चिन्तायें देगी। कलह-क्लेश से बचें तथा क्रोध के आवेश में कोई निर्णय न लें अन्यथा भारी नुकसान हो सकता है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। काले घोडे की नाल का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें। देवगुरु बृहस्पति की प्रतिकूलता किसी संकट का संकेत कर रही है। गुरुवार का व्रत करें और केले के वृक्ष की जड रेशमी कपडे में लपेट कर हाथ में बांधें। राहु-केतु मिले-जुले फल देंगे।

मिथुन

इस वर्ष शनिदेव आप पर प्रसन्न रहेंगे। पुरुषार्थ से कार्य सिद्ध होगा। यात्राओं से लाभ होगा। प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा। विरोधी परास्त होंगे। समस्याओं का समाधान मिलेगा। देवगुरु बृहस्पति का आशीर्वाद मिलने से तकदीर चमकेगी। सुख-समृद्धि बढेगी। इच्छा पूर्ण होगी। परिवार में आनन्द-मंगल रहेगा। कुंवारों का विवाह होगा। मई से राहु-केतु पीडाजनक रहेंगे। चांदी की अंगूठी में लाजवर्त जडवा कर मध्यमा अंगुली में पहनें।

कर्क

आप अभी भी शनि की साढे-साती में हैं। उतरता हुआ शनि विशेष अशुभ फल देता है, अत: प्रत्येक कार्य सावधानीपूर्वक करें तथा किसी भी प्रकार का कोई जोखिम न लें। क्रोध न करें तथा विवाद से बचें। स्वजनों से सामंजस्य बनायें। शनिवार के दिन हनुमानजी के दर्शन-पूजन तथा सुंदरकाण्ड के पाठ से शनिकृत पीडा कम होगी। देवगुरु बृहस्पति और राहु-केतु की प्रतिकूलता भी चिंताजनक है। महामृत्युंजय मंत्र से ग्रहों का अरिष्ट दूर होगा।

सिंह

शनि की साढेसाती का दुर्योग अभी आधा ही बीता है। तन-मन पर छाई शनि की छाया को दूर करने के लिए प्रत्येक शनिवार छाया-दान करें। पीपल के वृक्ष को सीचें, उसकी सात परिक्रमा करके उसके नीचे दीपक जलायें। राशि के स्वामी सूर्यनारायण को नित्य अ‌र्घ्य देकर उनकी आराधना करने से शक्ति बढेगी और सोया हुआ आत्मविश्वास जगेगा। देवगुरु बृहस्पति की सहायता से बिगडे काम बनेंगे। मई से राहु आपका मददगार साबित होगा।

कन्या

साढेसाती में चढता हुआ शनि आपके लिए रोज कोई न कोई समस्या पैदा करेगा। आमदनी की अपेक्षा खर्च बढ जाने से हाथ तंग रहेगा। घरेलू परेशानियों से चित्त अशान्त रहेगा। सतर्क होकर काम करें अन्यथा धोखा हो सकता है। नाव की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें तथा कौओं नित्य रोटी का टुकडा डालें। देवगुरु बृहस्पति की अप्रसन्नता मानसिक तनाव बढायेगी। गुरुवार के दिन पांच केलों का दान करें। राहु-केतु मिश्रित फल देंगे।

तुला

इस वर्ष शनि की मदद से काम बनेंगे। महत्वाकांक्षा पूर्ण होने से हर्ष होगा। आर्थिक लाभ का अवसर आएगा। स्वजनों से सहयोग मिलेगा। समय का सदुपयोग करें तथा जरूरी कामों को निबटाएं। देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न होकर वरदान देंगे। इससे तकदीर का सितारा चमकेगा। लेकिन राहु-केतु बीच-बीच में बाधा उपस्थित करेंगे। अतएव विघ्नविनाशक गणेश की आराधना करें। संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखें। यह वर्ष यादगार सिद्ध होगा।

वृश्चिक

इस वर्ष शनि आपकी अग्नि-परीक्षा लेगा। चित्त का उच्चाटन होने से मन की एकाग्रता भंग होगी। स्वभाव में चिडचिडापन आएगा। दिनचर्या व्यवस्थित करें। परिवार तथा कार्यालय में मतभेद से बचें। क्रोध न करें और संयम से काम लें। देवगुरु बृहस्पति की अनुकम्पा से समय-समय पर बिगडी बात बनेगी। समस्याओं का समाधान होगा। राहु-केतु इस वर्ष मिले-जुले फल देंगे। राशि के स्वामी मंगल के दिन व्रत रखें। गाय की सेवा से शांति मिलेगी

धनु

इस वर्ष शनिदेव आपको व्यर्थ की काफी दौड-धूप करायेंगे। धन-श्रम के अपव्यय से मन दु:खी होगा। यात्रा में सावधानी बरतें। योजना खूब सोच-विचार कर बनायें। जल्दबाजी से नुकसान होगा। देवगुरु बृहस्पति की स्वराशि में स्थिति से तीव्र ऊर्जा उत्पन्न होगी, जिसका सही प्रयोग करें। कार्यभार की अधिकता से स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। राहु-केतु की प्रतिकूलता समस्याजनक रहेगी। भगवान दत्तात्रेय की उपासना करें।

मकर

इस वर्ष शनि की ढैय्या (शनि-कण्टक योग) का दुष्प्रभाव कष्ट देगा। किसी अप्रिय घटना की आशंका है। प्रत्येक कार्य सतर्क होकर करें अन्यथा मान-सम्मान को आघात पहुंच सकता है। भावुकता को छोडकर यथार्थवादी बनें। गुस्से में कोई फैसला न लें। शेयर बाजार से दूर रहें। देवगुरु बृहस्पति की प्रतिकूलता हानि देगी। राहु-केतु की अशुभता मुसीबत बढा सकती है। भगवान भैरवनाथ की आराधना तथा रुद्राभिषेक से शन्ति मिलेगी।

मीन

शनिदेव के कृपापात्र बनकर आप इस वर्ष शत्रुओं और समस्याओं पर विजय प्राप्त करेंगे। बडे से बडा विरोधी आपके समक्ष नतमस्तक होगा। काफी समय से रुका हुआ कोई विशेष कार्य पूरा होगा। जीवन को एक नई दिशा मिलेगी। किन्तु राशि के स्वामी बृहस्पति के इस वर्ष आपके पक्ष में न होने से आंशिक लाभ ही हाथ आएगा। लक्ष्मीनारायण की आराधना से मनोकामना पूर्ण होगी। राहु-केतु सामयिक सहायता देंगे। दीन-दुखियों को भोजन करवायें।

पर्व त्यौहार जनवरी व्रत त्यौहार:-

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1 जनवरी: ईस्वी सन् 2008 शुरू, अन्वष्टका नवमी

2 जनवरी: पौषी दशमी-श्रीपा‌र्श्वनाथ जयंती (जैन), आनन्देश्वर भैरव जयंती (कश्मीर)

3 जनवरी: दशमी तिथि-वृद्धि, श्रीपा‌र्श्वनाथ जयंती (मतान्तर से), व्यतिपात महापात घं. 21.24 से घं. 28.51 तक

4 जनवरी: सफला एकादशी व्रत, धनुर्मास महाभोग (श्रीमहाकालेश्वर-उज्जैन), सुरूपा द्वादशी

5 जनवरी: शनि-प्रदोष व्रत, गुरु गोविन्द सिंह जयंती (नानकशाही कैलेण्डर से)

6 जनवरी: मासिक शिवरात्रि व्रत, दशतारकारम्भ (मिथिलांचल),

7 जनवरी: सोमवारी व्रत (सोमवती अमावस्या का पर्वकाल दोपहर 3.58 बजे से), पीपल पूजन-परिक्रमा, पाक्षिक प्रतिक्रमण (श्वेत0 जैन)

8 जनवरी: स्नान-दान-श्राद्ध की भौमवती अमावस्या (पर्वकाल सूर्योदय से सायं 5.07 बजे तक), गंगा-स्नान करोडों सूर्यग्रहणतुल्य फलप्रद, वाकुला अमावस (उडीसा), कालबादेवी-यात्रा (मुम्बई), पापनाशक समुद्र-स्नान (चेन्नई), पावागढ काली-दर्शन यात्रा (गुजरात)

9 जनवरी: प्रवासी भारतीय दिवस

10 जनवरी: नवीन चंद्र-दर्शन, एक मास तक खिचडी-भोग (श्रीराधावल्लभ मंदिर, वृंदावन), पंचदिवसीय श्रीगोदाम्माजी-विवाहोत्सव प्रारंभ (श्रीरंग मंदिर, वृंदावन)

11 जनवरी: इस्लामी हिजरी सन् 1429 एवं मुहर्रम माह शुरू (मुस.), लाल बहादुर शास्त्री स्मृति दिवस, श्रील जीवगोस्वामी का तिरोभाव उत्सव (ब्रज)

12 जनवरी: वरदविनायक चतुर्थी व्रत, स्वामी विवेकानंद जयंती (अंग्रेजी तारीखानुसार)

13 जनवरी: लोहडी (पंजाब, जम्मू-कश्मीर), गरुडगोविन्द का छप्पन भोग (छटीकरा-मथुरा)

14 जनवरी: सूर्य का मकर राशि में प्रवेश रात्रि 12:09 बजे, संक्रान्ति का स्नान-दान अगले दिन, अन्नरूपा षष्ठी (बंगाल), धनु (खर) मास पूर्ण, कुमुहूत्र्ता उत्तर्या (श्वेत0 जैन) रात्रि 12.09 बजे

15 जनवरी: मकर-संक्रान्ति का पुण्यकाल सूर्योदय से सायं ब्.09 बजे तक, खिचडी पर्व, तिल-संक्रान्ति, संकल्प में प्रयोजनीय शिशिर ऋतु प्रारंभ, करिदिन, सूर्य उत्तरायण, गंगासागर-स्नान, कल्पवास प्रारम्भ (प्रयाग), माघ बिहु (असम), पोंगल (द. भा.), थलसेना दिवस, नंदराय जयंती

16 जनवरी: श्रीदुर्गाष्टमी व्रत, बुधाष्टमी पर्व मध्याह्न 12.16 बजे तक (सूर्यग्रहणतुल्य), शाकम्भरी महापूजा प्रारम्भ (सहारनपुर), अपूपाष्टमी, दशतारकान्त (मिथिलांचल), श्रीअन्नपूर्णाष्टमी व्रत

17 जनवरी: कर्म दशमी-विश्वकर्मा पूजा (मिथिलांचल), मेंहदी रात (मुस.), वैधृति महापात 6.48 से घं. 12.08 तक

18 जनवरी: साम्ब दशमी-सूर्य पूजा, पुत्रदा एकादशी व्रत (स्मार्त), बैकुण्ठ एकादशी, श्रीतैलंगस्वामी जयंती (काशी)

19 जनवरी: पुत्रदा एकादशी व्रत (वैष्णव), श्रीनारायण द्वादशी, रोहिणी व्रत, पापनाशनी द्वादशी, श्यामबाबा द्वादशी, कत्ल रात (मुस.), कश्मीरी पण्डितों का निर्वासन दिवस, बाबे लालूजी की पहली चोटी, ओशो महोत्सव

20 जनवरी: प्रदोष व्रत, मुहर्रम (ताजिया), सूर्य सायन कुम्भ राशि में घं. 22.14 पर, शिव-शक्ति अन्नकूट महोत्सव (काशी)

21 जनवरी: पाक्षिक प्रतिक्रमण (श्वेत0 जैन)

22 जनवरी: स्नान-दान-व्रत की पौषी पूर्णिमा, शाकम्भरी जयंती, सत्यनारायण पूजा-कथा, अम्बाजी का प्राकट्योत्सव (गुजरात), कौशिकी-स्नान (मिथिलांचल), पुष्याभिषेक यात्रा (बंगाल), माघ स्नान-नियम प्रारंभ

23 जनवरी: लक्ष्मण सम्वत् 899 प्रारम्भ, माघ में कमला-स्नान महापुण्यप्रद (मिथिलांचल), नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जयंती, षोडशकारण व्रत प्रारम्भ (जैन)

25 जनवरी: संकटहरण श्रीगणेश चतुर्थी व्रत (सकट चौथ), श्रीगणेशावतार चतुर्थी (काशी, मिथिलांचल), श्रीभालचन्द्र चतुर्थी, तिलकुटी चतुर्थी, महामाघी चतुर्थी (उज्जैन), श्रीगोपाल भट्ट गोस्वामी-आविर्भावोत्सव (वृंदावन), ब्रह्मसमाज स्थापना दिवस, सौभाग्य सुंदरी व्रत

26 जनवरी: भारतीय गणतंत्र दिवस, बाबे लालूजी की दूसरी चोटी

28 जनवरी: लाला लाजपतराय जयंती

29 जनवरी: स्वामी विवेकान्द जन्मतिथि, श्रीरामानंदाचार्य जयंती, साहिब सप्तमी (कश्मीर), पुत्र-सप्तमी व्रत, व्यतिपात महापात घं. 23.21 से घं. 28.51 तक

30 जनवरी: कालाष्टमी, अपूपाष्टका, बापू स्मृति दिवस, सर्वोदय पखवारा शुरू

31 जनवरी: अन्वष्टका, भीष्म पितामह जयंती, अवतार मेहेर बाबा अमरतिथि

Sunday, January 4, 2009

मासिक ग्रह-वाणी:-

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गृह वाणी

जनवरी

मासिक ग्रह-वाणी:-

5, 6, 14, 15, 22, 23 जनवरी को अग्नितत्वीय मेष, सिंह, धनु राशियों के लिये 6, 7, 8, 16, 17, 24, 25, 26 जनवरी को पृथ्वीतत्वीय वृष, कन्या, मकर राशियों के लिये 9, 10, 11, 18 , 19, 26, 27, 28 जनवरी को वायुतत्वीय मिथुन, तुला, कुम्भ राशियों के लिये 1, 2, 3, 11, 12, 13, 20, 21, 29, 30, 31 जनवरी को जलतत्वीय कर्क, वृश्चिक, मीन राशियों के लिए ग्रह-स्थिति प्रतिकूल है। इन दिनों कोई महत्वपूर्ण कार्य न करें।

मोक्ष की प्राप्ति

Your Ad Here राधा का अर्थ है …मोक्ष की प्राप्तिरा’ का अर्थ है ‘मोक्ष’ और ‘ध’ का अर्थ है ‘प्राप्ति’।कृष्ण जब वृन्दावन से मथुरा गए,तब से उनके जीवन में एक पल भी विश्राम नही था।

उन्होंने आतताइयों से प्रजा की रक्षा की, राजाओं को उनके लुटे हुए राज्य वापिस दिलवाए और सोलह हज़ार स्त्रियों को उनके स्त्रीत्व की गरिमा प्रदान की। उन्होंने अन्य कईं जनहित कार्यों में अपने जीवन का उत्सर्ग किया।

श्रीकृष्ण ने किसी चमत्कार से लड़ाइयाँ नहीं जीती। बल्कि अपनी बुद्धि योग और ज्ञान के आधार पर जीवन को सार्थक किया। मनुष्य का जन्म लेकर , मानवता की…उसके अधिकारों की सदैव रक्षा की।

वे जीवन भर चलते रहे , कभी भी स्थिर नही रहे । जहाँ उनकी पुकार हुई,वे सहायता जुटाते रहे।

उधर जब से कृष्ण वृन्दावन से गए, गोपियाँ और राधा तो मानो अपना अस्तित्व ही खो चुकी थी। राधा ने कृष्ण के वियोग में अपनी सुधबुध ही खो दी। मानो उनके प्राण ही न हो केवल काया मात्र रह गई थी।

राधा को वियोगिनी देख कर ,कितने ही महान कवियों- लेखकों ने राधा के पक्ष में कान्हा को निर्मोही जैसी उपाधि दी। दे भी क्यूँ न ?

राधा का प्रेम ही ऐसा अलौकिक था…उसकी साक्षी थी यमुना जी की लहरें , वृन्दावन की वे कुंजन गलियाँ , वो कदम्ब का पेड़, वो गोधुली बेला जब श्याम गायें चरा कर वापिस आते थे , वो मुरली की स्वर लहरी जो सदैव वहाँ की हवाओं में विद्यमान रहती थी ।

राधा जो वनों में भटकती ,कृष्ण कृष्ण पुकारती,अपने प्रेम को अमर बनाती,उसकी पुकार सुन कर भी ,कृष्ण ने एक बार भी पलट कर पीछे नही देखा। …तो क्यूँ न वो निर्मोही एवं कठोर हृदय कहलाए ।

राधा का प्रेम ही ऐसा अलौकिक था…उसकी साक्षी थी यमुना जी की लहरें , वृन्दावन की वे कुंजन गलियाँ , वो कदम्ब का पेड़, वो गोधुली बेला जब श्याम गायें चरा कर वापिस आते थे , वो मुरली की स्वर लहरी जो सदैव वहाँ की हवाओं में विद्यमान रहती थी …

किन्तु कृष्ण के हृदय का स्पंदन किसी ने नहीं सुना। स्वयं कृष्ण को कहाँ कभी समय मिला कि वो अपने हृदय की बात..मन की बात सुन सकें। या फिर क्या यह उनका अभिनय था?

जब अपने ही कुटुंब से व्यथित हो कर वे प्रभास -क्षेत्र में लेट कर चिंतन कर रहे थे तब ‘जरा’ के छोडे तीर की चुभन महसूस हुई। तभी उन्होंने देहोत्सर्ग करते हुए ,’राधा’ शब्द का उच्चारण किया।

जिसे ‘जरा’ ने सुना और ‘उद्धव’ को जो उसी समय वह पहुँचे..उन्हें सुनाया। उद्धव की आँखों से आँसू लगतार बहने लगे। सभी लोगों को कृष्ण का संदेश देने के बाद ,जब उद्धव ,राधा के पास पहुँचे ,तो वे केवल इतना कह सके —राधा, कान्हा तो सारे संसार के थे , किन्तु राधा तो केवल कृष्ण के हृदय में थी”