Sunday, August 30, 2009

सितम्बर सन् 2009

मासिक ग्रह-वाणी 6, 7, 14, 15, 16, 23, 24, 25 सितम्बर को अग्नितत्वीय मेष, सिंह, धनु राशियों के लिये ह्न 8, 9, 10, 18, 16, 17, 18, 25, 26, 27 सितम्बर को पृथ्वीतत्वीय वृष, कन्या, मकर राशियों के लिये ह्न 1, 2, 10, 11, 12, 19, 20, 28, 29, 30 सितम्बर को वायुतत्वीय मिथुन, तुला, कुम्भ राशियों के लिये ह्न 3, 4, 5, 12, 13, 14, 21, 22, 30 सितम्बर को जलतत्वीय कर्क, वृश्चिक, मीन राशियों के लिये ग्रह-स्थिति प्रतिकूल है। इन दिनों कोई महत्वपूर्ण कार्य न करें। संयम रखें और सतर्क रहें। Your Ad Here

Saturday, August 29, 2009

अक्टूबर सन् 2009

मासिक ग्रह-वाणी 3, 4, 5, 12, 13, 20, 21, 22, 30, 31 अक्टूबर को अग्नितत्वीय मेष, सिंह, धनु राशियों के लिये ह्न 5, 6, 7, 14, 15, 23, 24, 25 अक्टूबर को पृथ्वीतत्वीय वृष, कन्या, मकर राशियों के लिये ह्न 7, 8, 9, 16, 17, 25, 26, 27 अक्टूबर को वायुतत्वीय मिथुन, तुला, कुम्भ राशियों के लिये ह्न 1, 2, 10, 11, 18, 19, 20, 28, 29, 30 अक्टूबर को जलतत्वीय कर्क, वृश्चिक, मीन राशियों के लिये ग्रह-स्थिति प्रतिकूल है। इन दिनों कोई महत्वपूर्ण कार्य न करें। संयम रखें और सतर्क रहें।

Thursday, August 27, 2009

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Tuesday, August 18, 2009

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Saturday, August 8, 2009

पर्व त्यौहार

सितम्बर सन् 2009

1 सितम्बर: भौम-प्रदोष व्रत (ऋण-मोचन हेतु), वामन द्वादशी व्रत, वामनावतार जयंती, विजया द्वादशी, श्यामबाबा द्वादशी-ज्योति, भुवनेश्वरी महाविद्या जयंती, इन्द्र-पूजा प्रारम्भ (मिथिलांचल), पयोव्रत प्रारम्भ, कदली व्रत, कल्कि द्वादशी, द्वादशी व्रत (जैन)

2 सितम्बर: गोत्रिरात्र व्रत प्रारम्भ, ओणम पर्व (केरल, तमिलनाडु), मटकीफोड-लीला (बरसाना-मथुरा), वितस्ता त्रयोदशी (जम्मू-कश्मीर), 3 दिन रत्नत्रय व्रत (दिग. जैन), आचार्य भिक्षु निर्वाण दिवस (जैन)

3 सितम्बर: अनन्तचतुर्दशी व्रत-मध्याह्न में अनन्त भगवान का पूजन और अनन्तसूत्र बाँधना, अनन्तनाग-यात्रा (कश्मीर), पार्थिव गणेश-विसर्जन, पाक्षिक प्रतिक्रमण (श्वेत. जैन), पर्युषण पर्व पूर्ण (दिग. जैन), शरद्पूर्णिमा तक रामनगर की रामलीला (वाराणसी)

4 सितम्बर: स्नान-दान-व्रत की भाद्रपदी पूर्णिमा, महालया प्रारम्भ, पूर्णिमा का श्राद्ध, प्रौष्ठपदी श्राद्ध, उमा-महेश्वर व्रत, लोकपाल-पूजन, गोत्रिरात्र पूर्ण, भागवत सप्ताह समाप्त, अम्बाजी का मेला (गुजरात), संन्यासियों का चातुर्मास पूर्ण, संध्या पूजा प्रारम्भ, सत्यनारायण पूजा-कथा, क्षमावाणी पर्व (दिग. जैन)

5 सितम्बर: पितृपक्ष प्रारम्भ, प्रतिपदा (परीवा) का श्राद्ध, आश्विन में दूध को त्यागें, मदर टेरेसा स्मृति दिवस, शिक्षक दिवस, फसली सन् 1417 शुरू, षोडशकारण-मुष्ठिविधान समाप्त (दिग. जैन)

6 सितम्बर: द्वितीय (दूज) का श्राद्ध, अशून्य शयन व्रत, व्यतिपात महापात दोपहर 3.09 से सायं 7.24 तक

7 सितम्बर: तृतीया (तीज) का श्राद्ध, वृहद्गौरी व्रत

8 सितम्बर: संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत, अंगारकी चतुर्थी, चतुर्थी (चौथ) का श्राद्ध

9 सितम्बर: पंचमी का श्राद्ध, भरणी श्राद्ध, कोकिला पंचमी (जैन), श्रीमाधवदेव तिथि (असम)

10 सितम्बर: षष्ठी (छठ) का श्राद्ध, चन्द्रषष्ठी व्रत, कपिलाषष्ठी

11 सितम्बर: सप्तमी का श्राद्ध, चन्द्रोदय-व्यापिनी अष्टमी में महालक्ष्मी व्रत का समापन, विनोबा भावे जयंती, अ‌र्द्धरात्रिव्यापिनी अष्टमी में काली-जयंती (मतांतर से), ओठगन (मिथिलांचल), साहिब सप्तमी (जम्मू-कश्मीर), रोहिणी व्रत (दिग. जैन), शहादत-ए-हजरत अली (मुस.)

12 सितम्बर: अष्टमी का श्राद्ध, गयामध्याष्टमी, जीवित्पुत्रिका (जीउतिया) व्रत- जीमूतवाहन पूजन, कालाष्टमी, इबादत रात (मुस.)

13 सितम्बर: नवमी (नौमी) का श्राद्ध, मातृनवमी, सुहागिनों का श्राद्ध

14 सितम्बर: दशमी का श्राद्ध दोपहर 2.20 से पूर्व, एकादशी (ग्यारस) का श्राद्ध दोपहर 2.20 के बाद, हिन्दी दिवस

15 सितम्बर: इन्दिरा एकादशी व्रत, द्वादशी (बारस) का श्राद्ध, संन्यासियों-यति-वैष्णवों का श्राद्ध

16 सितम्बर: त्रयोदशी (तेरस) का श्राद्ध, प्रदोष व्रत, सूर्य की कन्या-संक्रान्ति रात्रि 11.23 बजे, पुण्यकाल सायं 4.59 से सूर्यास्त तक, गोदावरी में स्नान-दान, संकल्प में प्रयोजनीय शरद् ऋतु प्रारम्भ, शब-ए-कद्र (मुस.), आचार्य श्रीरामशर्मा जयंती

17 सितम्बर: दुर्मरण श्राद्ध- शस्त्र, विष, अग्नि, जल, दुर्घटना से मरे व्यक्ति का श्राद्ध, चतुर्दशी (चौदस) का श्राद्ध अमावस्या में किया जाना शास्त्रोचित, मासिक शिवरात्रि व्रत, मघा श्राद्ध, विश्वकर्मा-पूजा, पाक्षिक प्रतिक्रमण (श्वेत. जैन)

18 सितम्बर: स्नान-दान श्राद्ध की आश्विनी अमावस्या, पितृविसर्जनी अमावस, सर्वपितृ-श्राद्ध, अज्ञात मरणतिथि वालों का श्राद्ध, आज अमावस्या एवं पूर्णिमा का श्राद्ध शास्त्रोचित, महालया समाप्त, पितृामावसी (जम्मू-कश्मीर), जुमातुल विदा (मुस.), वैधृति महापात सायं 7.45 से रात्रि 11.34 तक, मेघमाला व्रत पूर्ण (जैन)

19 सितम्बर: शारदीय नवरात्र प्रारम्भ, कलश (घट) स्थापना, महाराज अग्रसेन जयंती, नाती द्वारा नाना-नानी का श्राद्ध,Rosh Hashanah-Jewish New Year Day (5770)

20 सितम्बर: नवीन चन्द्र-दर्शन, ईद का चाँद, रेमन्त-पूजन (मिथिलांचल)

21 सितम्बर: सिन्दूर तृतीया, ईदुल फितर (मुस.)

22 सितम्बर: वरदविनायक चतुर्थी व्रत, भौमवती (अंगारकी) चतुर्थी, माना चतुर्थी (बंगाल, उडीसा), रथोत्सव चतुर्थी, सूर्य सायन तुला राशि में रात्रि 2.50 बजे, शरद सम्पात्-सूर्य का दक्षिण गोल में प्रवेश, महाविषुव दिवस

23 सितम्बर: ललिता पंचमी, उपांग ललिता व्रत, नक्तपंचमी (उडीसा)

24 सितम्बर: तपषष्ठी (उडीसा), शारदीय दुर्गापूजा की बिल्वाभिमंत्रण षष्ठी- सायं बोधन, कुमार (स्कन्द) षष्ठी व्रत, गजगौरी व्रत

25 सितम्बर: महासप्तमी व्रत, शारदीय दुर्गा-पूजा प्रारम्भ (बंगाल), सरस्वती (देवी) का आवाहन, महालक्ष्मी-पूजन, पत्रिका-प्रवेश, दीनदयाल उपाध्याय जयंती, नवपद ओली प्रारम्भ (श्वेत. जैन)

26 सितम्बर: श्रीदुर्गाष्टमी महापूजा, महाष्टमी व्रत, श्रीअन्नपूर्णाष्टमी व्रत एवं परिक्रमा (काशी), भद्रकाली अष्टमी, महानिशा-सन्धि पूजा, सरस्वती (देवी) का पूजन

27 सितम्बर: श्रीदुर्गा-महानवमी व्रत, त्रिशूलनी पूजा (मिथिलांचल), सरस्वती (देवी) के निमित्त बलिदान, एकवीरा पूजा

28 सितम्बर: विजयादशमी (दशहरा), शमी एवं अपराजिता-पूजा, नीलकण्ठ-दर्शन, आयुध (शस्त्र) पूजन, सीमोल्लंघन, खत्री दिवस, बौद्धावतार दशमी, जयन्ती धारण (मिथिलांचल), साईबाबा समाधि दिवस (शिरडी), सरस्वती (देवी) का विसर्जन, माधवाचार्य जयंती, श्रीमहाकाल की सवारी (उज्जैन), नवरात्र व्रत का पारण, सरदार भगत सिंह जयंती,Yom Kippur (Jewish)

29 सितम्बर: भरत-मिलाप, ईश्वरचन्द्र विद्यासागर जयंती

30 सितम्बर: पापांकुशा एकादशी व्रत, बैंकों की अर्धवार्षिक लेखाबंदी

Sunday, August 2, 2009

पापड़ की सब्जी

सामग्री :- २-३ मूँग-उड़द के पापड़, एक प्याज व १ टमाटर बारीक कटा हुआ, चुटकी भर हींग, आधा चम्मच लाल मिर्च पावडर, १ चम्मच धनिया पाउडर, राई-जीरा चुटकी भर, एक बड़ी चम्मच तेल, नमक स्वादानुसार। विधिः सर्वप्रथम सभी पापड़ को सेंक कर रख लें। एक कड़ाही में तेल गरम करके राई-जीरा व हींग का छौंक लगाकर प्याज-टमाटर अच्छी तरह भून लें। ऊपर से मसाला डालकर मिश्रण को तेल छोड़ने तक भूनें। अब आवश्यकतानुसार पानी डालकर उसे ३-४ उबाली आने तक पकाएँ। गैस बंद कर दें। अब सिकें पापड़ के हाथ से टुकड़े करके तैयार ग्रेवी में डाल दें। अब हरा धनिया डालकर गरमा-गरम पापड़ की सब्जी सर्व करें।

हिन्दुत्व का लक्ष्य स्वर्ग-नरक से ऊपर है

कुछ पंथ या मजहब कहते हैं कि ईश्वर से डरोगे, संयम रखोगे तो मरने के बाद स्वर्ग मिलेगा और सरकशी का जीवन बिताओगे तो नरक मिलेगा । स्वर्ग में सुन्दर स्त्री मिलती है; मनचाहे भोजन का, सुगन्धित वायु का और कर्णप्रिय संगीत का आनंद मिलता है; नेत्रों को प्रिय लगने वाले दर्शनीय स्थल होते हैं अर्थात् पांचों ज्ञानेन्द्रियों को परम तृप्ति जहाँ मिले वहीं स्वर्ग है । नरक में यातनाएँ मिलती हैं पुलिसिया अंदाज में; जैसे अपराधी से उसका अपराध कबूल करवाने या सच उगलवाने के लिए व्यक्ति को उल्टा लटका देना, बर्फ की सिल्लियों पर लिटा देना आदि या आतंकवादियों, डकैतों और तस्करों के कुकृत्य की तरह जो शारीरिक और मानसिक यातना देने की सारी सीमाएँ तोड़ देते हैं । नरक में इससे अधिक कुछ नहीं है । स्वर्ग के जो सुख बताये गये हैं, उन सुखों को विलासी राजाओं और बादशाहों ने इस धरती पर ही प्राप्त कर लिया । और नरक की जो स्थिति बतायी गयी है, मजहब और पंथ के नाम पर आतंकवादी इस धरती को ही नरक बना रहें हैं । नरक का भय दिखाकर तो हम ईश्वर को सबसे बड़ा आतंकवादी ही साबित करेंगे । वस्तुत: ईश्वर को स्वर्ग के सुख या नारकीय यातना से जोड़ने का कोई सर्वस्वीकार्य कारण उपलब्ध नहीं है । हिन्दू धर्म में जो संकेत मिलते हैं उसके अनुसार स्वर्ग और नरक यहीं हैं । हमारे शरीर एवं इन्द्रियों की क्षमताएँ सीमित हैं । हम अत्यधिक विषयासक्ति के दुष्परिणामों से बच नहीं सकते । किन्तु हिन्दू समाज में भी स्वर्ग और नरक के लोकों के अन्यत्र स्थित होने को मान्यता दी गयी है । यदि हम इसे सही मान लें तो जिन लोगों ने नेक काम किये हैं उन्हें स्वर्ग में और जिन लोगों ने बुरे काम किये हैं उन्हें नरक में होना चाहिए । चाहे सुख हो या यातना दोनों को शरीर के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है । इस स्थिति में स्वर्ग की आबादी तो बहुत बढ़ जानी चाहिए । अप्सराओं की संख्या तो सीमित है; वे कितने लोगों का मन बहलाती होंगी? वस्तुत: यह धरती ही स्वर्ग है, यह धरती ही नरक है । इस धरती को नरक बनने से रोकने और स्वर्ग में बदलने का उत्तरदायित्व हमारा है । यह कार्य सामूहिक उत्तरदायित्व की भावना और सामूहिक प्रयास से ही सम्भव है । इसीलिए धर्म की आवश्यकता है । हिन्दुत्व कहता है कि यदि हमने सत्कर्म किये हैं और हमें लगता है कि पूर्ण कर्म-फल नहीं मिला तो हमारा पुनर्जन्म हो सकता है - अतृप्त कामना की पूर्ति के लिए । और यदि हमने दुष्कर्म कियें हैं तो कर्म-फल भोगने के लिए हमारा पुनर्जन्म होगा । किन्तु यदि संसार से हमारा मोह-भंग हो जाता है, कर्मों में आसक्ति समाप्त हो जाती है, कोई कामना शेष नहीं रहती या ईश्वर में असीम श्रद्धा और भक्ति के कारण ईश्वर को पाने की इच्छा ही शेष रहती है तो हम पुनर्जन्म सहित सभी बन्धनों से मुक्त हो जाते हैं, मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं । इस प्रकार हिन्दुत्व का परम लक्ष्य स्वर्ग-प्राप्ति न होकर मोक्ष की प्राप्ति है ।