Tuesday, June 30, 2009

जुलाई सन् 2009

मासिक ग्रह-वाणी 3, 4, 5, 13, 14, 15, 22, 23, 30, 31 जुलाई को अग्नितत्वीय मेष, सिंह, धनु राशियों के लिये ह्न 5, 6, 7, 15, 16, 17, 24, 25 जुलाई को पृथ्वीतत्वीय वृष, कन्या, मकर राशियों के लिये ह्न 8, 9, 10, 18, 19, 26, 27 जुलाई को वायुतत्वीय मिथुन, तुला, कुम्भ राशियों के लिये ह्न 1, 2, 11, 12, 20, 21, 28, 29, 30 जुलाई को जलतत्वीय कर्क, वृश्चिक, मीन राशियों के लिये ग्रह-स्थिति प्रतिकूल है। इन दिनों कोई महत्वपूर्ण कार्य न करें। संयम रखें और सतर्क रहें।

Tuesday, June 23, 2009

नमकीन लस्सी

सामग्री : 250 ग्राम दही, 1 टी स्पून भुना पिसा जीरा, आधा टी स्पून काला नमक, आधा टी स्पून पिसी कालीमिर्च, 1 टी स्पून सूखा पुदीना, 1 टेबल स्पून शक्कर, बर्फ (अंदाज से)। विधि : दही में सभी सामग्री मिलाकर अच्छी तरह फेंटिए। इसे गिलासों में भरें। तैयार है नमकीन लस्सी। इसे ठंडा-ठंडा सर्व करें।

Monday, June 8, 2009

जुलाई सन् 2009

1 जुलाई: आशादशमी, गिरिजा पूजा, सोपपदा दशमी

2 जुलाई: पुनर्यात्रा-उल्टा रथ (पुरी), सौराठ-ससौला वैवाहिक सभा समाप्त (मिथिलांचल), वैधृति महापात रात्रि 12.01 से

3 जुलाई: श्रीहरि (देव) शयनी एकादशी व्रत, श्रीविष्णु-शयनोत्सव, रविनारायण एकादशी (उडीसा), वैधृति महापात प्रात: 8.12 तक

4 जुलाई: चातुर्मास व्रत-नियम प्रारम्भ, शनि-प्रदोष व्रत (पुत्रार्थियों के लिए), वामन पूजा, वासुदेव द्वादशी, श्यामबाबा द्वादशी-ज्योति, हार द्वादशी (जम्मू-कश्मीर), स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि

5 जुलाई: मंगलातेरस (जैन), जयापार्वती व्रत प्रारम्भ, शिव-शयनोत्सव (सायंकालीन चतुर्दशी में), रवि व्रत (दिग. जैन)

6 जुलाई: पूर्णिमा व्रत, सत्यनारायण पूजा-कथा, कोकिला व्रत प्रारम्भ, मेला ज्वालामुखी (कश्मीर), साईबाबा उत्सव प्रारम्भ (शिरडी), चौमासी चौदस (जैन), चातुर्मासिक प्रतिक्रमण (श्वेत. जैन), डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जयंती

7 जुलाई: स्नान-दान की 'पूर्वाषाढा' नक्षत्रयुता आषाढी पूर्णिमा, गुरुपूर्णिमा, व्यास पूजा, मुडिया पूनम-श्रील सनातन गोस्वामी का तिरोभावोत्सव (ब्रज), गोवर्धन-परिक्रमा, संन्यासियों का चातुर्मास प्रारम्भ, दक्षिणामूर्ति-पूजन, मैथिल साल 1417 शुरू, हजरत अली जन्मदिवस, तेरापंथ स्थापना दिवस (जैन)

8 जुलाई: सावन में शाक (साग) को त्यागें, हिंडोला प्रारंभ, अशून्य शयन व्रत, साईबाबा उत्सव पूर्ण (शिरडी), वीर शासन जयंती (दिग. जैन)

9 जुलाई: जयापार्वती व्रत का रात्रि-जागरण, कांवड-धारण मुहू‌र्त्त

10 जुलाई: अवतार मेहेरबाबा महामौन पर्व, स्वर्णगौरी व्रत

11 जुलाई: संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत, जनगणना दिवस

12 जुलाई: नागपंचमी (राजस्थान, बंगाल, मिथिलांचल), मौना पंचमी, मनसादेवी उत्थापन-पूजन एवं मधुश्रावणी पूजा प्रारम्भ, कोकिला पंचमी (जैन), कांवड-धारण मुहू‌र्त्त, दोढ मासीघर (श्वेत. जैन), रवि व्रत (दिग. जैन)

13 जुलाई: श्रावण का प्रथम सोमवार व्रत, श्रीमहाकाल की सवारी (उज्जैन)

14 जुलाई: श्रावण के प्रत्येक मंगलवार को भौम व्रत, काशी में मंगलागौरी-पूजन तथा दुर्गा देवी एवं संकटमोचन हनुमान का दर्शन, शीतला सप्तमी (कश्मीर, उडीसा), कांवड-धारण मुहू‌र्त्त

15 जुलाई: कालाष्टमी, बुधाष्टमी पर्व (सूर्यग्रहणतुल्य)

16 जुलाई: सूर्य की कर्क-संक्रान्ति दोपहर 3.08 बजे, सूर्योदय से प्रात: 8.44 बजे तक सामान्य पुण्यकाल एतत्पचश्चात् विशेष पुण्यकाल अपराह्न 3.08 बजे तक, सूर्य दक्षिणायन, संकल्प में प्रयोजनीय वर्षा ऋतु प्रारम्भ, मनसादेवी पूजा शुरू (बंगाल), व्यतिपात महापात देर रात 3.24 से

17 जुलाई: करिदिन, व्यतिपात महापात प्रात: 9.31

18 जुलाई: कामिका एकादशी व्रत, कमला एकादशी (जम्मू-कश्मीर), रोहिणी व्रत, कांवड-धारण मुहू‌र्त्त

19 जुलाई: प्रदोष व्रत, रविव्रत (दिग. जैन), एकादशी व्रत (निम्बार्क)

20 जुलाई: श्रावण का द्वितीय सोमवार व्रत, श्रीमहाकाल की सवारी (उज्जैन), मासिक शिवरात्रि व्रत, शब-ए-मिराज (मुस.)

21 जुलाई: भौम व्रत, मंगलागौरी-पूजा, पितृ-श्राद्ध की अमावस्या, आदि अमावस्या (दक्षिण भारत), पाक्षिक प्रतिक्रमण (श्वेत. जैन)

22 जुलाई: स्नान-दान की हरियाली अमावस्या, स्वामी अखण्डानंद जयंती, सूर्य सायन सिंह राशि में रात्रि 10.06 बजे, सूर्यग्रहण-दिल्ली में प्रात: 5.37 बजे सूर्योदय हो जाने से प्रात: 7.25 बजे तक दिखेगा, सूर्यग्रहण का सूतक 9 घंटे पूर्व प्रारंभ होगा, करिदिन, नक्तव्रत प्रारम्भ

23 जुलाई: नवीन चन्द्र-दर्शन, झूलनोत्सव (दोलोत्सव) शुरू, स्वामी करपात्री जयंती, चन्द्रशेखर आजाद जन्मदिवस, लोकमान्य तिलक जयंती

24 जुलाई: हरियाली तीज (छोटी तीज), मधुस्त्रवा तृतीया व्रत (मिथिलांचल), स्वर्णगौरी तृतीया, श्रीबाँकेबिहारी का स्वर्ण हिंडोले में दर्शन (ब्रज)

25 जुलाई: वरदविनायक चतुर्थी व्रत, दूर्वागणपति व्रत, श्रमणतप प्रारंभ (जैन), शनि की शांति हेतु पीपल के नीचे हनुमानजी का पूजन

26 जुलाई: नागपंचमी, तक्षक पूजा, गुडिया पर्व, श्रीहनुमद्ध्वजारोहण, श्रीनागचन्द्रेश्वर-दर्शन (उज्जैन), ऋग्वेदियों का उपाकर्म, गोगो थधो (सिन्धी), कल्कि अवतार षष्ठी, मासघर (श्वेत. जैन), रवि व्रत (दिग. जैन)

27 जुलाई: श्रावण का तृतीय सोमवार व्रत, श्रीमहाकाल की सवारी (उज्जैन)

28 जुलाई: शीतला सप्तमी (मिथिलांचल), नढी थीधडी (सिन्धी), गोस्वामी तुलसीदास जयन्ती, भौम व्रत, मंगलागौरी-पूजा, मोक्ष सप्तमी (दिग. जैन), मुकुट सप्तमी, वैधृति महापात देर रात 2.26 से

29 जुलाई: श्रीदुर्गाष्टमी, श्रीअन्नपूर्णाष्टमी व्रत, मेला नयनादेवी-चिन्तपूर्णी-चामुण्डा देवी, बुधाष्टमी व्रत (सूर्यग्रहणतुल्य), वैधृति महापात प्रात: 8.04 तक

30 जुलाई: नकुल नवमी, बगीचा नौमी, Tishabeab (Jewish)

31 जुलाई: वरदलक्ष्मी व्रत, कलश दशमी, अक्षय दशमी (जैन)

Tuesday, June 2, 2009

क्रि‍स्‍पी पोटॅटो

सामग्री : समान आकार के आलू 250 ग्राम, नमक, जैतून का तेल, मक्‍खन, काली मि‍र्च। वि‍धि ‍: आलू में दो-चार बार छुरी मारकर छेद कर दें। एक ट्रे में नमक बुरकें। अपने हाथों पर जैतून का तेल लगाएँ आलुओं पर यह तेल लगाएँ और फि‍र उस पर नमक लपेटें। अब इसे माइक्रोवेव अवन में बेक करें। अब इस पर मक्‍खन और काली मि‍र्च पावडर बुरका कर सर्व करें।

ब्रह्म या परम तत्त्व सर्वव्यापी है

ब्रह्माण्ड का जो भी स्वरूप है वही ब्रह्म का रूप या शरीर है । वह अनादि है, अनन्त है । जैसे प्राण का शरीर में निवास है वैसे ही ब्रह्म का अपने शरीर या ब्रह्माण्ड में निवास है । वह कण-कण में व्याप्त है, अक्षर है, अविनाशी है, अगम है, अगोचर है, शाश्वत है । ब्रह्म के प्रकट होने के चार स्तर हैं - ब्रह्म, ईश्वर, हिरण्यगर्भ एवं विराट (विराज) । भौतिक संसार विराट है, बुद्धि का संसार हिरण्यगर्भ है, मन का संसार ईश्वर है तथा सर्वव्यापी चेतना का संसार ब्रह्म है । ‘सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्म’ अर्थात् ब्रह्म सत्य और अनन्त ज्ञान-स्वरूप है । इस विश्वातीत रूप में वह उपाधियों से रहित होकर निर्गुण ब्रह्म या परब्रह्म कहलाता है । जब हम जगत् को सत्य मानकर ब्रह्म को सृष्टिकर्ता, पालक, संहारक, सर्वज्ञ आदि औपाधिक गुणों से संबोधित करते हैं तो वह सगुण ब्रह्म या ईश्वर कहलाता है । इसी विश्वगत रूप में वह उपास्य है । ब्रह्म के व्यक्त स्वरूप (माया या सृष्टि) में बीजावस्था को हिरण्यगर्भ (सूत्रात्मा) कहते हैं । आधार ब्रह्म के इस रूप का अर्थ है सकल सूक्ष्म विषयों की समष्टि । जब माया स्थूल रूप में अर्थात् दृश्यमान विषयों में अभिव्यक्त होती है तब आधार ब्रह्म वैश्वानर या विराट कहलाता है ।