Saturday, May 30, 2009

जून सन् 2009

मासिक ग्रह-वाणी 6, 7, 8, 16, 17, 24, 25, 26 जून को अग्नितत्वीय मेष, सिंह, धनु राशियों के लिये ह्न 8, 9, 10, 18, 19, 20, 26, 27 28 जून को पृथ्वीतत्वीय वृष, कन्या, मकर राशियों के लिये ह्न 1, 2, 3, 11, 12, 13, 20, 21, 22, 28, 29, 30 जून को वायुतत्वीय मिथुन, तुला, कुम्भ राशियों के लिये ह्न 3, 4, 5, 13, 14, 15, 22, 23, 24 जून को जलतत्वीय कर्क, वृश्चिक, मीन राशियों के लिये ग्रह-स्थिति प्रतिकूल है। इन दिनों कोई महत्वपूर्ण कार्य न करें। संयम रखें और सतर्क रहें।

Saturday, May 23, 2009

दही भल्ले

सामग्री : उड़द दाल (धुली हुई) आधा किलो, अदरक (कटा हुआ) 1 टेबल स्पून, हरी मिर्च (कटी हुई) 4-5, हरा धनिया (कटा हुआ) 1 गुच्छी, हींग 1/4 टी स्पून, नमक आधा टी स्पून, लालमिर्च आधा टी स्पून, तेल आवश्यकतानुसार, दही आवश्यकतानुसार, पुदीने की खट्टी चटनी आधा कप, इमली की मीठी चटनी आधा कप, जीरा (भूना हुआ) 1 टी स्पून, काला मसाला 1 टी स्पून, हरा धनिया (कटा हुआ) आधा कप, ताजे अनार के दाने 1 कप। उड़द की दाल को साफ कर धो लें तथा रातभर भिगोने के लिए रख दें। सवेरे उसे 2-3 पानी से धो लें। हरी मिर्च, अदरक, हरा धनिया, हींग, नमक व मिर्च के साथ दाल को मिक्सी में पीस लें। विधि : उड़द की दाल को साफ कर धो लें तथा रातभर भिगोने के लिए रख दें। सवेरे उसे 2-3 पानी से धो लें। हरी मिर्च, अदरक, हरा धनिया, हींग, नमक व मिर्च के साथ दाल को मिक्सी में पीस लें। पीसी दाल को परात में डालकर हल्के पानी के छींटों के साथ इतना फेंटें किदाल हल्की हो जाए। अब प्लेट पर गीला महीन कपड़ा बिछा दें। उस पर 1-1 टेबल स्पून दाल रखें। उसे गीले हाथ से थोड़ा दबाकर गोल आकार दें। तेल में सारे भल्ले तल लें। उन्हें पानी में छोड़ते जाएँ, ताकि वे काफी फूल जाएँ। हाथ से हल्का दबाकर भल्लों का सारा पानी निकाल दें। दही में नमक मिलाएँ व भल्लों को दही में डुबोकर प्लेट में रख दें। ऊपर से इतना दही डालें कि भल्ले भीगे रहें। इमली की चटनी व हरी चटनी ऊपर से डालें। भूना-पीसा जीरा, काला मसाला, लालमिर्च व नमक बुरकें। हरा धनिया व अनार के लाल दाने डालें तथा मजेदार भल्ले पेश करें।

हिन्‍दुत्‍व अथवा हिन्‍दू धर्म

हिन्दुत्व को प्राचीन काल में सनातन धर्म कहा जाता था। हिन्दुओं के धर्म के मूल तत्त्व सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा, दान आदि हैं जिनका शाश्वत महत्त्व है। अन्य प्रमुख धर्मों के उदय के पूर्व इन सिद्धान्तों को प्रतिपादित कर दिया गया था। इस प्रकार हिन्दुत्व सनातन धर्म के रूप में सभी धर्मों का मूलाधार है क्योंकि सभी धर्म-सिद्धान्तों के सार्वभौम आध्यात्मिक सत्य के विभिन्न पहलुओं का इसमें पहले से ही समावेश कर लिया गया था। मान्य ज्ञान जिसे विज्ञान कहा जाता है प्रत्येक वस्तु या विचार का गहन मूल्यांकन कर रहा है और इस प्रक्रिया में अनेक विश्वास, मत, आस्था और सिद्धान्त धराशायी हो रहे हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आघातों से हिन्दुत्व को भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसके मौलिक सिद्धान्तों का तार्किक आधार तथा शाश्वत प्रभाव है। आर्य समाज जैसे कुछ संगठनों ने हिन्दुत्व को आर्य धर्म कहा है और वे चाहते हैं कि हिन्दुओं को आर्य कहा जाय। वस्तुत: 'आर्य' शब्द किसी प्रजाति का द्योतक नहीं है। इसका अर्थ केवल श्रेष्ठ है और बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य की व्याख्या करते समय भी यही अर्थ ग्रहण किया गया है। इस प्रकार आर्य धर्म का अर्थ उदात्त अथवा श्रेष्ठ समाज का धर्म ही होता है। प्राचीन भारत को आर्यावर्त भी कहा जाता था जिसका तात्पर्य श्रेष्ठ जनों के निवास की भूमि था। वस्तुत: प्राचीन संस्कृत और पालि ग्रन्थों में हिन्दू नाम कहीं भी नहीं मिलता। यह माना जाता है कि परस्य (ईरान) देश के निवासी 'सिन्धु' नदी को 'हिन्दु' कहते थे क्योंकि वे 'स' का उच्चारण 'ह' करते थे। धीरे-धीरे वे सिन्धु पार के निवासियों को हिन्दू कहने लगे। भारत से बाहर 'हिन्दू' शब्द का उल्लेख 'अवेस्ता' में मिलता है। विनोबा जी के अनुसार हिन्दू का मुख्य लक्षण उसकी अहिंसा-प्रियता है हिंसया दूयते चित्तं तेन हिन्दुरितीरित:। एक अन्य श्लोक में कहा गया है ॐकार मूलमंत्राढ्य: पुनर्जन्म दृढ़ाशय: गोभक्तो भारतगुरु: हिन्दुर्हिंसनदूषक:। ॐकार जिसका मूलमंत्र है, पुनर्जन्म में जिसकी दृढ़ आस्था है, भारत ने जिसका प्रवर्तन किया है, तथा हिंसा की जो निन्दा करता है, वह हिन्दू है। चीनी यात्री हुएनसाग् के समय में हिन्दू शब्द प्रचलित था। यह माना जा सकता है कि हिन्दू' शब्द इन्दु' जो चन्द्रमा का पर्यायवाची है से बना है। चीन में भी इन्दु' को इन्तु' कहा जाता है। भारतीय ज्योतिष में चन्द्रमा को बहुत महत्त्व देते हैं। राशि का निर्धारण चन्द्रमा के आधार पर ही होता है। चन्द्रमास के आधार पर तिथियों और पर्वों की गणना होती है। अत: चीन के लोग भारतीयों को 'इन्तु' या 'हिन्दु' कहने लगे। मुस्लिम आक्रमण के पूर्व ही 'हिन्दू' शब्द के प्रचलित होने से यह स्पष्ट है कि यह नाम मुसलमानों की देन नहीं है। भारत भूमि में अनेक ऋषि, सन्त और द्रष्टा उत्पन्न हुए हैं। उनके द्वारा प्रकट किये गये विचार जीवन के सभी पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं। कभी उनके विचार एक दूसरे के पूरक होते हैं और कभी परस्पर विरोधी। हिन्दुत्व एक उद्विकासी व्यवस्था है जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता रही है। इसे समझने के लिए हम किसी एक ऋषि या द्रष्टा अथवा किसी एक पुस्तक पर निर्भर नहीं रह सकते। यहाँ विचारों, दृष्टिकोणों और मार्गों में विविधता है किन्तु नदियों की गति की तरह इनमें निरन्तरता है तथा समुद्र में मिलने की उत्कण्ठा की तरह आनन्द और मोक्ष का परम लक्ष्य है। हिन्दुत्व एक जीवन पद्धति अथवा जीवन दर्शन है जो धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को परम लक्ष्य मानकर व्यक्ति या समाज को नैतिक, भौतिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के अवसर प्रदान करता है। हिन्दू समाज किसी एक भगवान की पूजा नहीं करता, किसी एक मत का अनुयायी नहीं हैं, किसी एक व्यक्ति द्वारा प्रतिपादित या किसी एक पुस्तक में संकलित विचारों या मान्यताओं से बँधा हुआ नहीं है। वह किसी एक दार्शनिक विचारधारा को नहीं मानता, किसी एक प्रकार की मजहबी पूजा पद्धति या रीति-रिवाज को नहीं मानता। वह किसी मजहब या सम्प्रदाय की परम्पराओं की संतुष्टि नहीं करता है। आज हम जिस संस्कृति को हिन्दू संस्कृति के रूप में जानते हैं और जिसे भारतीय या भारतीय मूल के लोग सनातन धर्म या शाश्वत नियम कहते हैं वह उस मजहब से बड़ा सिद्धान्त है जिसे पश्चिम के लोग समझते हैं । कोई किसी भगवान में विश्वास करे या किसी ईश्वर में विश्वास नहीं करे फिर भी वह हिन्दू है। यह एक जीवन पद्धति है; यह मस्तिष्क की एक दशा है। हिन्दुत्व एक दर्शन है जो मनुष्य की भौतिक आवश्यकताओं के अतिरिक्त उसकी मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक आवश्यकता की भी पूर्ति करता है।

ईश्वर एक नाम अनेक

ऋग्वेद कहता है कि ईश्वर एक है किन्तु दृष्टिभेद से मनीषियों ने उसे भिन्न-भिन्न नाम दे रखा है । जैसे एक ही व्यक्ति दृष्टिभेद के कारण परिवार के लोगों द्वारा पिता, भाई, चाचा, मामा, फूफा, दादा, बहनोई, भतीजा, पुत्र, भांजा, पोता, नाती आदि नामों से संबोधित होता है, वैसे ही ईश्वर भी भिन्न-भिन्न कर्ताभाव के कारण अनेक नाम वाला हो जाता है । यथा- जिस रूप में वह सृष्टिकर्ता है वह ब्रह्मा कहलाता है । जिस रूप में वह विद्या का सागर है उसका नाम सरस्वती है । जिस रूप में वह सर्वत्र व्याप्त है या जगत को धारण करने वाला है उसका नाम विष्णु है । जिस रूप में वह समस्त धन-सम्पत्ति और वैभव का स्वामी है उसका नाम लक्ष्मी है । जिस रूप में वह संहारकर्ता है उसका नाम रुद्र है । जिस रूप में वह कल्याण करने वाला है उसका नाम शिव है । जिस रूप में वह समस्त शक्ति का स्वामी है उसका नाम पार्वती है, दुर्गा है । जिस रूप मे वह सबका काल है उसका नाम काली है । जिस रूप मे वह सामूहिक बुद्धि का परिचायक है उसका नाम गणेश है । जिस रूप में वह पराक्रम का भण्डार है उसका नाम स्कंद है । जिस रूप में वह आनन्ददाता है, मनोहारी है उसका नाम राम है । जिस रूप में वह धरती को शस्य से भरपूर करने वाला है उसका नाम सीता है । जिस रूप में वह सबको आकृष्ट करने वाला है, अभिभूत करने वाला है उसका नाम कृष्ण है । जिस रूप में वह सबको प्रसन्न करने, सम्पन्न करने और सफलता दिलाने वाला है उसका नाम राधा है । लोग अपनी रुचि के अनुसार ईश्वर के किसी नाम की पूजा करते हैं । एक विद्यार्थी सरस्वती का पुजारी बन जाता है, सेठ-साहूकार को लक्ष्मी प्यारी लगती है । शक्ति के उपासक की दुर्गा में आस्था बनती है । शैव को शिव और वैष्णव को विष्णु नाम प्यारा लगता है । वैसे सभी नामों को हिन्दू श्रद्धा की दृष्टि से स्मरण करता है ।

Friday, May 22, 2009

आम पन्ना

Your Ad Here विधि : आम के गूदे को थोड़े से सोडा पानी में घोलकर छान लें। फिर उसमें ठंडा सोडा मिलाएं। फिर नीबू का रस, चीनी, नमक, और पुदीने के पत्ते मिलाकर चलाएं। ग्लास में डालकर जीरा पाउडर से सजाकर सर्व करें। सामग्री : 1 कच्चा आम उबाला हुआ, 240 मिली. चिल्ड सोडा, 5 मिली. नीबू का रस, 5 ग्राम कटा हुआ पुदीना, स्वादानुसार काला नमक, 5 ग्राम भुना और पिसा हुआ जीरा, 5 ग्राम चीनी कितने लोगों के लिए : 1

Sunday, May 10, 2009

आप और तिल

शरीर पर तिल होने का फल माथे पर---------बलवान हो ठुड्डी पर--------स्त्री से प्रेम न रहे दोनों बांहों के बीच--यात्रा होती रहे दाहिनी आंख पर----स्त्री से प्रेम बायीं आंख पर-----स्त्री से कलह रहे दाहिनी गाल पर-----धनवान हो बायीं गाल पर------खर्च बढता जाए होंठ पर----------विषय-वासना में रत रहे कान पर----------अल्पायु हो गर्दन पर----------आराम मिले दाहिनी भुजा पर-----मान-प्रतिष्ठा मिले बायीं भुजा पर------झगडालू होना नाक पर----------यात्रा होती रहे दाहिनी छाती पर-----स्त्री से प्रेम रहे बायीं छाती पर------स्त्री से झगडा होना कमर में-----------आयु परेशानी से गुजरे दोनों छाती के बीच----जीवन सुखी रहे पेट पर----------उत्तम भोजन का इच्छुक पीठ पर---------प्राय: यात्रा में रहा करे दाहिने हथेली पर------बलवान हो बायीं हथेली पर------खूब खर्च करे दाहिने हाथ की पीठ पर--धनवान हो बाएं हाथ की पीठ पर---कम खर्च करे दाहिने पैर में---------बुद्धिमान हो बाएं पैर में----------खर्च अधिक हो

Friday, May 8, 2009

जून सन् 2009

1 जून: श्रीमहेश नवमी (माहेश्वरी समाज), नवमी में शुक्ला देवी का पूजन

2 जून: गंगा दशमी- गंगा दशहरा, गंगावतरण तिथि, हरिद्वार में मेला, दशाश्वमेध घाट-स्नान विशेष पुण्यदायक (काशी), सेतुबन्ध रामेश्वर प्रतिष्ठा दिवस, बटुक भैरव जयंती, आचार्य श्रीराम शर्मा स्मृति दिवस

3 जून: निर्जला एकादशी व्रत, भीमसेनी एकादशी, श्रीकाशीविश्वनाथ कलश-यात्रा, रुक्मिणीहरण लीला (ब्रज), रुक्मिणी-विवाह (उडीसा)

4 जून: चम्पक द्वादशी, त्रिविक्रम-पूजन, श्यामबाबा द्वादशी-ज्योति, गौतमेश्वर-दर्शन (काशी), मेला खाटू श्यामजी (राजस्थान)

5 जून: कश्मीर, गुजरात, मालवा, महाराष्ट्र तथा दक्षिण भारत में 3 दिन का वटसावित्री व्रत (पूर्णिमापक्ष) प्रारम्भ, प्रदोष व्रत, छत्रपति शिवाजी राज्याभिषेक दिवस, शिवराज शक 336 शुरू, पर्यावरण दिवस

6 जून: चम्पक चतुर्दशी (बंगाल), पाक्षिक प्रतिक्रमण (श्वेत. जैन)

7 जून: स्नान-दान-व्रत की ज्येष्ठी पूर्णिमा, जलयात्रा (गौडीय वैष्णव), देव-स्नान पूर्णिमा, वटसावित्री पूर्णिमा, सत्यनारायण पूजा-कथा, श्रील श्यामानन्द प्रभु का तिरोभावोत्सव, सरयू जयंती (अयोध्या), शिप्रा-सवारी (उज्जैन), रूप भवानी जयंती (जम्मू-कश्मीर), बिल्वत्रिरात्र व्रत, जिनवर व्रत पूर्ण (जैन), संत कबीर जयंती 612वीं, ज्येष्ठाभिषेकोत्सव (द्वारका), Trinity Sunday (Christian)

8 जून: गुरु हरगोविन्द सिंह जयंती, वटसावित्री पूर्णिमा-व्रत का पारण

9 जून: बिरसा मुण्डा शहीद दिवस (झारखंड)

10 जून: वैधृति महापात मध्याह्न 12.16 से रात्रि 9.05 तक

11 जून: संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत, Corpus Christi (Christian)

13 जून: कोकिला पंचमी (जैन), नागपंचमी (बंगाल), ऊधम सिंह शहीद दिवस

14 जून: सूर्य की मिथुन-संक्रान्ति शेषरात्रि 4.17 बजे, पुण्यकाल आगामी दिन, राजस संक्रान्ति (उडीसा)

15 जून: मिथुन-संक्रान्ति का पुण्यकाल सूर्योदय से प्रात: 10.41 बजे तक, मन्दाकिनी में स्नान-दान, कालाष्टमी, जिनवर व्रत पूर्ण (जैन), Father's day

16 जून: श्रीशीतलाष्टमी (बसौडा), भलभलाष्टमी, बौहरा अष्टमी, गुरु अर्जुनदेव शहीद दिवस (नानकशाही कलैण्डर से)

18 जून: रानी लक्ष्मीबाई बलिदान दिवस (झाँसी)

19 जून: योगिनी एकादशी व्रत, देवरहा बाबा समाधि दिवस

20 जून: शनि-प्रदोष व्रत (पुत्रार्थियों के लिए)

21 जून: मासिक शिवरात्रि व्रत, सूर्य सायन कर्क राशि में दिन में 11.16 बजे, सौर ग्रीष्म ऋतु प्रारम्भ, सूर्य आद्र्रा नक्षत्र में रात्रि 3.51 बजे, रोहिणी व्रत (दिग. जैन), पाक्षिक प्रतिक्रमण (श्वेत. जैन)

22 जून: स्नान-दान-श्राद्ध की आषाढी अमावस्या, सोमवती अमावस, पीपल के वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित कर विधि-विधान से षोडशोपचार पूजन कर स्त्रियों को अखण्ड सुहाग के लिए 108 परिक्रम करनी चाहिए, कामाख्या देवी की अम्बुवाची प्रवृत्ति (असम)

23 जून: आषाढी (ग्रीष्म) नवरात्र प्रारम्भ, हालारी संवत् 2066 शुरू (कच्छ), डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्मृति दिवस

24 जून: नवीन चन्द्र-दर्शन, श्रीजगन्नाथ-सुभद्रा-बलराम रथयात्रा (पुरी), मनोरथ द्वितीया व्रत (बंगाल), सौराठ-ससौला वैवाहिक सभा प्रारम्भ (मिथिलांचल), रानी दुर्गावती बलिदान दिवस

25 जून: श्रीवल्लभाचार्य वैकुण्ठ-गमन दिवस, ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का उर्स शुरू (अजमेर), गुण्डिचा-उत्सव (पुरी), कामाख्या देवी की अम्बुवाची निवृत्ति (असम)

26 जून: वरदविनायक चतुर्थी व्रत, पितृतृप्तिकर नवोदकनिमित्त श्राद्ध (मिथिलांचल), नशा-निरोधक दिवस

27 जून: हैरा पंचमी (उडीसा), श्रीद्वारकाधीश पाटोत्सव (कांकरोली-राजस्थान), स्कन्द (कुमार) षष्ठी व्रत

28 जून: कर्दम षष्ठी (बंगाल), भानु-सप्तमी पर्व (सूर्यग्रहणतुल्य), विवस्वत् सूर्य सप्तमी व्रत, पुलिकमूल-बंधन (मिथिलांचल), महावीर स्वामी गर्भ कल्याणक (जैन), विजया-हार सप्तमी (जम्मू-कश्मीर)

29 जून: श्रीदुर्गाष्टमी, अन्नपूर्णाष्टमी व्रत, परशुरामाष्टमी (उडीसा), खरसी पूजा (त्रिपुरा), हार अष्टमी (जम्मू-कश्मीर), अष्टाह्निका (अट्ठाई) शुरू (श्वेत. जैन)

30 जून: भड्डली नवमी, कन्दर्प नवमी, हार नवमी-शारिका जयंती, मेला शरीक भवानी (कश्मीर), आषाढी नवरात्र पूर्ण, अट्ठाई शुरू (दिग. जैन)

Wednesday, May 6, 2009

मई सन् 2009

मासिक ग्रह-वाणी 1, 2, 9, 10, 11, 19, 20, 21, 28, 29 मई को अग्नितत्वीय मेष, सिंह, धनु राशियों के लिये ह्न 3, 4, 12, 13, 14, 22, 23, 30, 31 मई को पृथ्वीतत्वीय वृष, कन्या, मकर राशियों के लिये ह्न 5, 6, 7, 14, 15, 16, 24, 25 मई को वायुतत्वीय मिथुन, तुला, कुम्भ राशियों के लिये ह्न 7, 8, 9, 17, 18, 19, 26, 27 मई को जलतत्वीय कर्क, वृश्चिक, मीन राशियों के लिये ग्रह-स्थिति प्रतिकूल है। इन दिनों कोई महत्वपूर्ण कार्य न करें। संयम रखें और सतर्क रहें।

अप्रैल सन् 2009

मासिक ग्रह-वाणी 3, 4, 5, 12, 13, 14, 22, 23, 24 अप्रैल को अग्नितत्वीय मेष, सिंह, धनु राशियों के लिये ह्न 5, 6, 7, 15, 16, 17, 24, 25, 26 अप्रैल को पृथ्वीतत्वीय वृष, कन्या, मकर राशियों के लिये ह्न 8, 9, 17, 18, 19, 26, 27, 28 अप्रैल को वायुतत्वीय मिथुन, तुला, कुम्भ राशियों के लिये ह्न 1, 2, 3, 10, 11, 12, 20, 21, 28, 29, 30 अप्रैल को जलतत्वीय कर्क, वृश्चिक, मीन राशियों के लिये ग्रह-स्थिति प्रतिकूल है। इन दिनों कोई महत्वपूर्ण कार्य न करें। संयम रखें और सतर्क रहें।

मार्च सन् 2009

मार्च सन् 2009 मासिक ग्रह-वाणी 7,8, 9, 16, 17, 18, 26, 27 मार्च को अग्नितत्वीय मेष, सिंह, धनु राशियों के लिये ह्न 1, 2, 9, 10, 11, 18, 19, 20, 28, 29 मार्च को पृथ्वीतत्वीय वृष, कन्या, मकर राशियों के लिये ह्न 3, 4, 11, 12,13, 21, 22, 30, 31 मार्च को वायुतत्वीय मिथुन, तुला, कुम्भ राशियों के लिये ह्न 5, 6, 13, 14, 15, 23, 24, 25 मार्च को जलतत्वीय कर्क, वृश्चिक, मीन राशियों के लिये ग्रह-स्थिति प्रतिकूल है। इन दिनों कोई महत्वपूर्ण कार्य न करें। संयम रखें और सतर्क रहें।