[मनोवैज्ञानिकों की राय]
नई दिल्ली के एक मनोचिकित्सक डॉ. गौरव गुप्ता के अनुसार आत्मविश्वास कोई ऐसा गुण नहीं है, जो जन्म से आपके साथ आता हो। हम जिस परिवेश में रहते है, उस परिवेश की चुनौतियों के साथ कितनी अच्छी तरह तालमेल स्थापित करते है, ये सारी बातें आपके आत्मविश्वास को बढ़ाती है। इस संदर्भ में एक अन्य वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. रामास्वामी हरिहरन के अनुसार चुनौतियों को स्वीकार करने से आत्मविश्वास बढ़ता है। मान लें कि कोई बच्चा गणित के किसी सवाल को हल नहीं कर पा रहा है, तो आप उसे एक बार समझाएं। फिर उसी सूत्र पर आधारित दूसरे सवाल को उसे अपने आप हल करने दें। उस सवाल को हल करने के बाद बच्चे का आत्मविश्वास गणितीय सवालों के मामले में बढ़ जाएगा। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार बचपन की पारिवारिक स्थितियों का भी कालांतर में किसी व्यक्ति के आत्मविश्वास पर अच्छा व बुरा प्रभाव पड़ता है। बकौल डॉ. हरिहरन यदि किसी बच्चे की परवरिश सही ढंग से नहीं हुई या अभिभावकों ने बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रोत्साहित नहीं किया, तो इस स्थिति में वयस्क होने पर वह आत्मविश्वासी नहीं बन पाता। जो माता-पिता बच्चों को अच्छी आदतें अपनाने के लिए प्रेरित-प्रोत्साहित करते है, उनकी मदद करते है, उनके अच्छे कार्यो की सराहना करते है, उनके ही बच्चे वयस्क होने पर आत्मविश्वासी बन पाते है। कुछ बातें जिन पर अमल कर आप आत्मविश्वासी बनकर अपने जीवन में कामयाबी के झंडे बुलंद कर सकती है।
[खुद से करे प्रेम]
आत्मविश्वासी बनने की राह में पहला कदम है स्वयं से प्रेम करना अर्थात सुबह उठकर सबसे पहले आईने में अपना चेहरा देखें। चेहरा देखकर यह सोचें कि मुझमें कई खूबियां है, मेरा कोई जवाब नहीं। आप जब उदारमना होकर दूसरों की जमकर तारीफ कर सकती है, तो एकांत में अपनी क्यों नहीं? अपने बारे में भी सकारात्मक सोच रखें। कई अध्ययनों और शोधों से मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक स्तर पर यह बात साबित हो चुकी है कि हमारे विचारों का हमारे व्यक्तित्व के निर्माण में व्यापक असर पड़ता है। यदि हमारी सोच नकारात्मक व निराशावादी है, तो इसका प्रतिकूल असर हमारे दिमाग पर पड़ेगा। एक बात याद रखें कि यदि आप अपने नकारात्मक पहलुओं पर अधिक ध्यान देंगी, तो फिर आप दूसरों के बारे में भी नकारात्मक बातों पर ही ध्यान देंगी। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि आप अपनी खामियों को दूर करने का प्रयास करे, पर इस संदर्भ में अपनी आलोचना करना ठीक नहीं है।
[अतीत से छुटकारा]
यदि किसी शख्स के साथ अतीत में उत्पीड़न की कोई घटना घटित हुई है, तो इसकी तल्ख याद भुलाए नहीं भूलती। इस तरह की यादें, जब-तब आपके दिमाग को परेशान कर देती है। पहली बात तो यही कि इस तरह की तल्ख यादों को जेहन में न आने दें। यदि वे आती है, तो उनके याद आने पर खुद से यह सवाल करे कि बीती हुई बातों का अब समाधान क्या हो सकता है? याद रखिए बीते हुए दिनों को वापस नहीं लाया जा सकता। जिस प्रकार से घड़ी की सुइयों को उल्टी दिशा में घुमाने से कोई फायदा नहीं होता, ठीक उसी प्रकार से बीते वक्त के बारे में अपना वक्त बर्बाद करने से कुछ हासिल नहीं होगा, बल्कि आप अपने वर्तमान को ही खराब करेगी।
[परिधानों का महत्व]
आत्मविश्वासी होना हमारे व्यक्तित्व का एक मानसिक पहलूहै। फिर भी विभिन्न अवसरों के अनुरूप हमें अपने परिधानों के प्रति सजग होना चाहिए। पिछले दिनों फ्रांस में हुए एक अध्ययन से यह बात साबित हो चुकी है कि परिधान हमारे व्यक्तित्व पर गहरा असर डालते है। अध्ययनकर्ताओं के अनुसार माहौल के अनुरूप लिबास धारण करने से हमारे आत्मविश्वास में इजाफा होता है। उदाहरण के लिए आप बाजार जा रही है, तो बाजार जाते समय यह सोचकर घरेलू परिधान न पहनें कि बाजार तो हमारे घर के पास ही है। संभव है कि बाजार में आपकी मुलाकात किसी खास शख्स से हो जाए। उस दौरान आप केवल अपना मन मसोस कर रह जाएंगी और बार-बार मन में यही सोचेंगी कि काश मैंने अच्छे परिधान पहने होते। विशेषज्ञों का कहना है कि जब आप अच्छी तरह तैयार होती है और माहौल के अनुकूल लिबास धारण करती है, तब आपकी 'बॉडी लैंग्वेज' में एक सकरात्मक परिवर्तन आ जाता है। दूसरे शब्दों में कहे, तो आपमें अधिक आत्मविश्वास आ जाता है। आपको समारोह या घटना के मद्देनजर ही अपना मेकअॅप करना चाहिए और उसी के अनुरूप परिधान धारण करने चाहिए, न कि अपनी सहूलियत समझकर। जैसे, हो सकता है कि आप ढीली-ढाली टीशर्ट पहनकर राहत महसूस करती हों, लेकिन यदि आप किसी खास पार्टी में जा रही है, तो वहां आपको उस पार्टी के अनुरूप परिधान धारण करने चाहिए। ऐसा करने पर ही आप हरेक को अच्छी तरह प्रभावित कर सकेंगी।
[शालीनता से स्वीकार करे]
तमाम महिलाएं लोगों द्वारा की सराहना और बधाई को स्वीकार करने में संकोच करती है या संशयग्रस्त हो जाती हैं। मान लें यदि आफिस में कोई आपकी या किसी अन्य महिला की तारीफ करता है कि आज आप बहुत सुंदर लग रही है, तो संभव है कि आपके या उस महिला के मन में यह ख्याल आए कि क्या मैं अन्य दिनों में अच्छी नहीं लगती हूं? हो सकता है कि आप यह सोचने लगें कि तारीफ करने वाले की मंशा क्या है, जो वह आज मेरी तारीफ कर रहा है? मनोवैज्ञानिकों के अनुसार जब कभी कोई आपकी सराहना करे, तो संशयग्रस्त न होकर उसकी बात को स्वीकार करे और उसी के अनुसार उत्तार दें। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि जो यह कहता है कि मुझे अपनी तारीफ पसंद नहीं, याद रखिए वह व्यक्ति अपनी तारीफ बार-बार सुनना चाहता है। इसलिए किसी की बधाई या सराहना को एक विजेता की तरह स्वीकार करे।
[शांत रहना आवश्यक है]
इन शब्दों को कहना जितना आसान है, उन पर अमल करना उतना ही मुश्किल है। यदि आप अपने परिवेश को लेकर आक्रोशित, चिंितंत, क्रोधित और घबड़ाई हुई है, तो इन सबसे निजात पाने के लिए आपको अपने तन-मन को शांत करने वाली विधियों पर भी अमल करना होगा। विशेषज्ञों के अनुसार योगा और मेडिटेशन हमारे तन-मन को विश्राम देकर ऊर्जा और तरोताजगी से एक बार फिर पूर्ण कर देते है। सच तो यह है कि शांति या इत्मीनान से काम करने से आप किसी भी कार्य को उत्कृष्ट ढंग से कर सकती है। शांत मिजाज लोग दूसरों पर अपना प्रभाव सशक्त ढंग से छोड़ने में सफल रहते है।
[जिम्मेदारियां लें]
आप जो भी कार्य करे, उसकी जिम्मेदारी स्वयं लें। याद रखें जो लोग आगे बढ़कर जिम्मेदारियां नहीं लेते, वे कभी आत्मविश्वासी नहीं बन सकते। समाज में स्वतंत्र और आत्मनिर्भर व्यक्ति की छवि बनाएं। याद रखें जिंदगी फूलों की सेज नहीं है। यहां सुख भी हैं, तो दुख भी है। आत्मविश्वासी व्यक्ति कभी भी दया का पात्र नहीं बनते है। अगर उनमें कोई खामियां हैं, तो वे उन्हे सुधारने का प्रयास करते है। अपनी खामियों को छिपाने के लिए वे बहाने नहीं बनाते और न ही दूसरों पर दोष मढ़ते है। अगर आपसे कोई गलती हो गई है, तो उसे स्वीकार करे। साथ ही कोशिश करे कि आगे से ऐसा न होने पाए। यदि आपके मन में कोई भय या फोबिया है, तो उसे दूर करने का प्रयास करे। साथ ही प्रतिदिन जिंदगी में कुछ न कुछ नया सीखने का प्रयास करे।
[स्वास्थ्य पर ध्यान]
व्यायाम करने से न केवल आपका शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि मानसिक रूप से भी आप चुस्त-दुरुस्त रहती है। विशेषज्ञों का कहना है कि व्यायाम हमें सुखद अहसास कराता है। ऐसा इसलिए क्योंकि व्यायाम करने पर हमारे शरीर में सुखद अहसास कराने वाले हार्मोन तेजी से प्रवाहित होने लगते है। इन हार्मोनों के तेजी से प्रवाहित होने के कारण हमारा मन नयी ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाता है। व्यायाम हमें आत्म विश्वास से पूर्ण करने में अहम् भूमिका निभाते
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